इंसान के जीवन में कर्म, भाग्य और बुद्धि, इन तीनों में कौन सबसे बड़ा है चलिए एक कहानी के माध्यम से जानते हैं।
एक दिन स्वर्ग लोक में कर्म, भाग्य और बुद्धि, यह तीनों चर्चा कर रहे थे कौन सबसे बड़ा है। कुछ दिन बीत गए लेकिन फिर भी यह तीनों इस बात का निर्णय नहीं कर पाए कि कौन बड़ा है।
एक दिन नारद मुनि पास से गुजर रहे थे, तो उन्होंने देखा कर्म, भाग्य और बुद्धि, आपस में किसी बात को लेकर झगड़ रहे हैं। तो नारद मुनि तीनों के पास गए और पूछा आप तीनों किस बात पर इतना झगड़ रहे हो। तब कर्म, भाग्य और बुद्धि, ने बोला हे नारद मुनि अब आप ही विचार कीजिए कि हम तीनों में से कौन महान हैं।
नारद मुनि हंसते हुए कहा, ठीक है, लेकिन इसके लिए आप तीनों को पृथ्वी लोक में जाना होगा और एक सप्ताह तक साधारण इंसान के साथ रहना होगा। आप तीनों में से जिसके प्रभाव से उस इंसान का भला होगा उसी को महान घोषित किया जाएगा। यह सुनकर तीनों पृथ्वी लोक में जाने के लिए राजी हो गए।
जब तीनों पृथ्वी लोक में आए तो उन्होंने जंगल में एक गरीब इंसान को पेड़ काटते हुए देखा। उन तीनों को लगा यही सही इंसान है जिसके सरीर में प्रबेश करकर हम अपनी महानता सिद्ध कर सकते है। कर्म, भाग्य और बुद्धि, आपस में बातें करके यह निर्णय लिया की बे एक सप्ताह कर के इस इंसान के शरीर में रहेंगे और जिसके प्रभाब से इस इंसान का भला होगा उसे ही महान माना जायेगा।
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कर्म बोला सबसे पहले मैं जाऊंगा और उस इंसान का भला करूंगा। कर्म उस इंसान में प्रवेश करते ही उसका कर्म क्षमता दुगना हो गया और वो प्रतिदिन जितना लकड़ी काटता था उससे ज्यादा काटने लगा। यह देखकर वह इंसान बहुत खुश हुआ. पहले से ज्यादा लकड़ी तो वह काट लेता था लेकिन वह उतना ही लकड़ी बाजार ले जाकर बेच पाता था, जितना कि वह पहले बेचता था। क्योंकि ज्यादा लकड़ी ले जाने के लिए उसके पास कोई सामान नहीं था। इसी तरह 7 दिन तक उसमें ज्यादा लकड़ी तो काट लिया लेकिन उन सब को बेच नहीं पाया और उसकी हालत में कोई सुधार नहीं आया। 7 दिन बाद कर्म उसके शरीर से बाहर आ गया और निराश होकर स्वर्ग चला गया।
यह देख कर भाग्य बोला कर्म तो उसको धनवान नहीं बना सका, अब मैं उसको धनवान बनाऊंगा। यह कहकर भाग्य उस गरीब इंसान के शरीर में प्रवेश कर गया।
भाग्य के शरीर में प्रवेश करने के कुछ देर बाद जंगल में उस गरीब इंसान को बहुत सारा धन मिला। उस धन को पाकर वह खुशी से झूमने लगा। धन को कैसे संभाल कर रखते हैं, और कैसे सही जगह पर उपयोग करते हैं इसका ज्ञान उसको नहीं था, और उसने सारा धन खर्च कर दिया। 7 दिन बाद भाग्य भी उसका साथ छोड़ दिया और निराश होकर स्वर्ग चला गया।
बुद्धि ने भाग्य से कहा, देखना मैं कैसे इसको धनवान बनाता हूं। बुद्धि उस इंसान के मस्तिष्क में प्रवेश करते ही उसको को ज्ञान की प्राप्ति हुई। उसने अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज की और जंगल चला गया लकड़ी काटने। आज उसने पिछले दिन से कुछ ज्यादा लकड़ी काठी, और सारे लकड़ी को एक रस्सी से बांधकर खींचते हुए बाजार ले गया। उसने पहले से आज थोड़ा ज्यादा पैसा कमाया, और उस पैसे से उसने और एक कुल्हाड़ी खरीद ली।
अब उसके पास दो दो कुल्हारी थे, और जब लकड़ी काटते काटते एक कुल्हारी का धार खत्म हो जाता था, तो वह दूसरी कुल्हाड़ी के इस्तेमाल करके लकड़ी काटता। इससे वह पहले से बहुत ज्यादा लकड़ी काट पाता था। इन सब लकड़ियों को बेचकर वह पहले से ज्यादा पैसे कमाने लगा।
अब उसके पास उस पैसे को सही जगह खर्च करने का ज्ञान था। देखते देखते 7 दिन में ज्ञान की मदद से उसने बहुत पैसे कमा लिया। 7 दिन बाद बुद्धि का समय ख़त्म हुआ, और वह वापस स्वर्ग चला गया। स्वर्ग में जाकर बुद्धि, कर्म और भाग्य से बात कर ही रहा था, उसी समय नारद मुनि उनके पास आए और पूछा, आप लोग धरती पर गए थे क्या? तब कर्म, बुद्धि, और भाग्य, नारद मुनि से कहते हैं, जी हां हम लोग धरती पर गए थे। और साथ ही कर्म और भाग्य नारद मुनि से कहते हैं, हे नारद मुनि बुद्धि ही महान है, क्योंकि जहां बुद्धि होती है वहां कर्म और भाग्य अपने आप ही चला आता है। इसीलिए बुद्धि को महान कहा गया है।