एक बार की बात है, भारत के एक छोटे से शहर में एक साधारण परिवार रहता था — माँ (अनीता), पिता (मोहन), बेटा (राहुल 14 साल का) और बेटी (परी 8 साल की)। अनीता की माँ, यानी बच्चों की नानी, कुछ समय पहले ही गुजर चुकी थीं। नानी थोड़ी अजीब थीं, हमेशा अकेले में कुछ बड़बड़ाया करती थीं, पुराने ग्रंथों और रहस्यमयी किताबों को पढ़ती थीं और कमरे में धूपबत्ती की जगह अजीब सी गंध वाली अगरबत्तियाँ जलाया करती थीं।
जब नानी की मौत हुई, तो घर में सबने राहत की साँस ली, लेकिन परी सबसे ज़्यादा उदास थी। परी हमेशा नानी के पास बैठती थी और नानी कुछ फुसफुसा कर उसे कहानियाँ सुनाती थीं। पर कोई और सुन नहीं पाता था कि वे क्या बोलती थीं।
कुछ दिनों बाद, परी ने अजीब हरकतें शुरू कर दीं। वह अकेले में दीवार की तरफ देखकर मुस्कुराने लगी, ज़मीन पर गोल-गोल आकृतियाँ बनाने लगी और कई बार अंधेरे में भी जागती रहती। एक रात अनीता की नींद खुली तो उसने सुना —
“ठक… ठक… ठक…”
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कमरे के बाहर से किसी के नाखून खुरचने की आवाज़ आ रही थी।
वो उठकर बाहर आई। राहुल अपने कमरे में सो रहा था। लेकिन परी का कमरा खुला था। अनीता ने झाँककर देखा — परी खिड़की के पास बैठी थी, पर उसके सामने कोई खड़ा था। परछाईं सी, लंबी और बिना चेहरा वाली आकृति।
अनीता की साँस रुक गई। वो चिल्लाई —
“परी! वहां से हटो!”
लेकिन परी धीरे से बोली,
“नानी कह रही हैं डरने की ज़रूरत नहीं…”
अगली सुबह परी के गले पर अजीब निशान थे, जैसे किसी ने उँगलियों से पकड़ लिया हो।
मोहन ने इसे सपना समझकर नजरअंदाज़ कर दिया। लेकिन उसी रात के बाद, राहुल चिल्लाते हुए उठा —
“मम्मी! किसी ने मेरे ऊपर बैठकर सांस ली!”
उसके चेहरे पर पसीना था और कमरे में एक अजीब सी बदबू थी — कुछ सड़ा हुआ, कुछ लोबान जैसा। राहुल के पलंग के नीचे से खरोंचने की आवाज़ आई:
“चर्र… चर्र… चर्र…”
अनीता नीचे झुकी तो देखा — वहाँ कुछ नहीं था। लेकिन जैसे ही उसने ध्यान से देखा, दीवार पर पुराने समय की भाषा में कुछ लिखा हुआ था। उस पर लिखा था —
“वह लौट आई है… और अब बच्चों की बारी है।”
अब चीजें और भी डरावनी हो गईं। घर में बिना हवा के खिड़कियाँ बंद हो जाती थीं, आईने में किसी और की परछाईं दिखती थी और परी अब नानी की पुरानी किताबों से कुछ बोलने लगी थी।
एक रात अनीता ने परी को लाल सिंदूर से गोल आकृति बनाते हुए देखा। परी बोल रही थी —
“पायमोन आएगा… वो राजा है… हमें सब कुछ देगा…”
मोहन ने तुरंत पूजा करवाई, लेकिन पुजारी डर गया। उसने कहा,
“ये साधारण आत्मा नहीं… ये एक राजा की आत्मा है… ‘पायमोन’… जो बलिदान मांगता है।”
रात को जब सब सो रहे थे, तभी घर की लाइटें फड़फड़ाने लगीं।
“टिक… टिक… टिक…” घड़ी उल्टी दिशा में चलने लगी।
“भूम्म्म…” एक ज़ोरदार धमाका हुआ। घर की सारी खिड़कियाँ अपने आप खुल गईं।
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फिर सबने देखा — नानी की आत्मा सीढ़ियों पर खड़ी थी। उसके हाथों में वही किताब थी जो परी पढ़ रही थी। उसकी आँखें काली थीं और वो धीरे से बोली —
“एक को देना होगा… तभी बाकी बचेंगे…”
राहुल बेहोश हो गया। परी बिना डरे बोलने लगी —
“माँ… मैं तैयार हूँ… पायमोन राजा मुझसे बात करते हैं…”
अनीता घबरा गई। वो चिल्लाई —
“तू मेरी बेटी है! ये सब बंद कर!”
लेकिन तब परी की आवाज़ बदल गई, बहुत भारी और डरावनी हो गई —
“मैं अब सिर्फ परी नहीं… मैं पायमोन की रानी हूँ…”
और जैसे ही परी ने ये कहा, घर के अंदर की सारी तस्वीरें दीवार से गिर गईं जैसे किसी ने उन्हें खींच लिया हो। नल से पानी अपने आप बहने लगा लेकिन वो पानी नहीं खून जैसा लाल था। बर्तनों के खड़कने की आवाज़ें आने लगीं जैसे कोई अदृश्य हाथ उन्हें फेंक रहा हो।
हवा में ठंडी साँसें महसूस हो रही थीं जैसे कोई अदृश्य चीज़ उनके बहुत पास हो। दरवाजे और खिड़कियाँ तेज़ी से खुलने और बंद होने लगे, जिससे अजीब-सी डरावनी आवाज़ें आ रही थीं। मोहन, जो अब तक हिम्मत जुटाए खड़ा था, अचानक उसके सामने एक काली परछाई आई और उसकी गर्दन पकड़ ली।
मोहन छटपटाने लगा, जैसे कोई उसका गला दबा रहा हो। अनीता डर के मारे काँप उठी। नानी की आत्मा की आँखें और ज़्यादा काली हो गईं और उसने एक भयानक हँसी हंसी। घर की दीवारों पर अचानक अजीब से लाल निशान उभरने लगे, जैसे कोई खून से कुछ लिख रहा हो।
फर्नीचर अपने आप हवा में उठने लगा और ज़ोर से ज़मीन पर गिरने लगा, जिससे धमाके की आवाज़ें आ रही थीं। परी के शरीर से अब एक तेज़ रोशनी निकल रही थी, जो धीरे-धीरे काली होने लगी। उसके बाल हवा में लहराने लगे और उसकी आँखों में अब कोई चमक नहीं थी, सिर्फ एक गहरा कालापन था। उसकी आवाज़ और भी गहरी और डरावनी हो गई।
“तुम मुझे रोक नहीं सकती, माँ! पायमोन आ रहा है, और यह घर अब उसका है!” परी ने उस भारी आवाज़ में कहा।
तभी घर की सारी लाइटें एक साथ चमक उठीं और फिर फट से बुझ गईं। चारों तरफ़ अँधेरा छा गया। अँधेरे में सिर्फ़ नानी की काली आँखें चमक रही थीं और परी की बदलती हुई डरावनी आवाज़ सुनाई दे रही थी। हवा में एक बहुत ही तेज़ सड़ी हुई बदबू फैल गई, इतनी तेज़ कि साँस लेना मुश्किल हो गया।
उस रात घर में आग लग गई। आग तेज़ी से फैली, जैसे उसे कोई अदृश्य शक्ति बढ़ा रही हो। पुलिस को जले हुए घर में कोई नहीं मिला, बस एक गोल आकृति वाला सिंदूर से बना चक्र मिला, जिसके बीचोंबीच परी की तस्वीर थी — बिना आँखों के। तस्वीर में परी की आँखों की जगह दो गहरे और खाली छेद थे, जैसे किसी ने उनकी आँखों को खींच लिया हो।
लोग आज भी उस घर के पास से निकलते हैं तो सुनी सुनाई आवाजें आती हैं —
“ठक… ठक… ठक…”
“पायमोन… राजा…”
और अगर रात में कोई बच्चा उस घर के पास जाता है, तो अगली सुबह उसकी आँखों में अजीब सी गहराई होती है… जैसे कोई और उसमें देख रहा हो।
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