एक बार सोनू नाम का एक भेड़ चराने बाला लड़का था जो घने जंगल के किनारे पर बसे एक छोटे से गाँव में रहता था। सोनू दिन भर अपने पिता की भेड़ों के झुंड को गाँव के आसपास के हरे-भरे खेतों में चरने ले जाता था। सोनू का जीबन इस तरह शांति से कट रहा था।
एकदिन जब सोनू भेड़ों को दिन भर चराने के बाद गाँव वापस ले जा रहा था, तो उसने देखा दूर से एक भेड़िया उसके भेड़ों को देख रहा है। वह जानता था कि भेड़िया उसके भेड़ों के लिए एक खतरा है, और इसलिए उसने अपनी हाथ में एक डंडा लेकर भेड़िया को भागने के लिए उसके करीब गया। हालांकि, भेड़िया तेज था, और जल्द ही वह जंगल में गायब हो गया।
सोनू जब वापस आया तो उसने देखा कि उसका एक भेड़ गायब था। जैसे ही उसे समझ में आया कि भेड़िया उसे ले गया है, वह दहशत में आ गया। सोनू जानता था कि उसे तेजी से कार्य करना है, और इसलिए वह भेड़िये को खोजने और अपनी भेड़ को बचाने के लिए जंगल की ओर भागा।
घंटों की खोज के बाद, सोनू ने आखिरकार भेड़िये को खोज निकला, जो भेड़ को अपने जबड़ों में ले जा रहा था। सोनू अपने डंडे से उस भेड़िये को मारने ही वाला था कि उसने भेड़िये के व्यवहार में कुछ अजीब देखा। वह आक्रामक या क्रूर नहीं लग रहा था, बल्कि वह लंगड़ाता हुआ चल रहा था।
जैसे ही सोनू पास आया, उसने देखा कि भेड़िया घायल है और केवल खुद कि भूख मिटाने की कोशिश कर रहा है। सोनू का दिल नरम हो गया, और उसने भेड़िये को नुकसान पहुँचाने के बजाय उसकी मदद करने का फैसला किया। बड़े प्रयास के बाद, सोनू भेड़ को उसके जबड़ों से छुड़ाने में सफल रहा और भेड़िये की जख्म का इलाज करने लगा।
भेड़िये के ठीक हो जाने के बाद, सोनू ने उसे वापस जंगल में छोड़ दिया, और उस दिन से, वह और भेड़िया अप्रत्याशित दोस्त बन गए। वे अक्सर खेतों में एक साथ रास्ता पार करते थे, और जब भी भेड़ियों के भोजन की जरुरत होती थी, सोनू ले आते थे।
साल बीतते गए और सोनू का भेड़ों के झुंड बड़ा होता गया। एक दिन, वह भेड़िया एक गांब वाले को दिख गया। उस गांब वाले को अपने बच्चों के लिए उस भेड़िये से खतरा महसूस हुआ, और उसने एक शिकारी को गाँव में बुलाया। सोनू को जैसे ही इस बात का पता चला कि एक शिकारी भेड़िये को पकड़ने के लिए आया है, उसने तुरंत गांब वालो को उस भेड़िये के बारे में सारि बात बता दी।
सोनू ने कहा कि वह भेड़िया किसि को कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगा, क्यूंकि वे दोनों सालो से दोस्त है। गांब वाले सोनू कि बात मान गए और शिकारी को खली हात वापस जाना पड़ा। इस तरह सोनू ने अपने दोस्त की जान बचा ली।
Moral of the Kid’s Story
मेहरबानी और सहानुभूति अप्रत्याशित दोस्ती और सकारात्मक परिणाम ला सकती है।