मालदा के दिल में, पप्पू और उसके दोस्त – रिनी, अनंता और मनोसी – एक छोटा सा कैफे चलाते थे, जहाँ उनकी हँसी पुरानी दीवारों में गूंजती थी। कारोबार अच्छा चल रहा था, लेकिन उन्हें मदद की ज़रूरत थी। इसलिए, उन्होंने एक वेट्रेस के लिए नौकरी का विज्ञापन दिया।
कैफे में इलायची और ताज़ी बनी चाय की खुशबू भरी हुई थी। पप्पू, जो आमतौर पर फायदे और नुक्सान में खोया रहता था उसने दरवाजे के ऊपर लगी घंटी की आवाज़ सुनकर ऊपर देखा। सरभोजया वहाँ खड़ी थी, दोपहर की धूप में उसकी आँखें शहद के जैसी दिख रही थीं।
“नमस्ते,” उसने कहा, उसकी आवाज़ इतनी मीठी थी जिसने कैफे के शोर को शांत कर दिया।
पप्पू, जो बोहोत समझदार और तेज़ था हकलाने लगा, “न-नमस्ते। कृपया, अंदर आइए।”
रिनी नै उसे देख अचानक हस्ते हुए अनंता को कोहनी मारी, उसके होंठों पर मुस्कान थी। मनोसी, अपने काम में खोई हुई थी। लेकिन पप्पू मन ही मन खुश हो गया था। सरभोजया और पप्पू दोनों को ही एक दूसरे पर क्रश आ गया।
जैसे ही उसने अपनी क्वालिफिकेशन और एक्सपीरियंस के बारे में बताया, पप्पू ने साधारण सवाल पूछते हुए उसे रोकने के बहाने ढूंढ़ने लगा। हर सवाल मै एक अनोखा जवाब था जिसकी वजह से पप्पू उसके बारे मे और जानने क लिए बैचैन हो गया।
“यह नौकरी तुम्हारी है,” उसने अपने दोस्तों से सलाह किए बिना ही कह दिया। “क्या तुम कल से शुरू कर सकती हो?”
सरभोजया के चहरे पर मुस्कान आ गयी और उसने बिना वक़्त ज़ाया करते हुए हां बोल दिया।
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दिन हफ्तों में बदल गए। सभी लोग सरभोजया के करीब आ गए, लेकिन पप्पू और सरभोजया और भी करीब आ गए, गुप्त नज़रों, देर रात की कॉल और काम के बाद चुराए गए पलों को बिताते हुए। उनका प्यार सबसे छुपा हुआ था, जो रिनी और अनंता से भी छिपा हुआ था।
एक शाम, कोलकाता से अपना दूसरे बिज़नेस के काम से वापस आ रहे थे तभी अचानक पप्पू ने सरभोजया को स्टेशन पर उसका इंतजार करते देखा जो सफेद रंग की पोशाक पहने हुए थी। रिनी और अनंता को आखिरकार उनके रिश्ते के बारे में पता चला।
अगले दिन, पप्पू और सरभोजया पार्क में गए एक दूसरे के साथ वक़्त बिताने के लिए। पार्क बच्चों की हंसी और पत्तियों की आवाज़ से और सुन्दर लग रहा था। पप्पू और सरभोजया एक बेंच पर बैठे थे उनके बीच एक चुप्पी थी। लेकिन शांति भंग हो गई जब एक आदमी गुस्से से भरा हुआ उनकी ओर बढ़ा। उसका चेहरा गुस्से से लाल था।
“तुम झूठी हो!” वह चिलाया सरभोजया को चेहरे पर थप्पड़ मारते हुए।
पप्पू उसके बचाव के लिए आगे बढ़ा, लेकिन सरभोजया चुप रही, उसकी आँखें नीची थीं।
“वह मेरे साथ तुम्हारे पीछे मिल रही है, तुम बेवकूफ हो!” उस आदमी ने थूकते हुए कहा। “उससे पूछो! जाओ, उससे पूछो!”
पप्पू सरभोजया की ओर मुड़ा, उसका दिल जोरो से धड़क रहा था। “क्या यह सच है?”
उसकी आँखों में आँसू भर आए लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। वह चुपचाप खड़ी रही।
“मैं… मैं समझ नहीं पा रहा हूँ,” पप्पू हकलाया, उसकी आवाज़ मुश्किल से निकल रही थी।
बिना कुछ कहे वह मुड़ा और भाग गया, उस आदमी की हंसी उसके कानों में गूंज रही थी।
क्या सरभोजया उसे धोखा दे रही थी?………
टूटे दिल के साथ पप्पू चला गया। उस रात, सरभोजया ने फोन किया सिसकते हुए और माफी मांगते हुए, अपने प्यार की कसम खाते हुए। पप्पू, प्यार और शक के बीच फंसा हुआ उसे माफ कर दिया। ज़िन्दगी फिर से नार्मल हो गई।
लेकिन एक दिन, रिनी और अनंता रथबारी में खरीदारी कर रहे थे तभी सरभोजया को उसी आदमी के साथ एक कॉफी शॉप में हंसते हुए देखा तभी रिनी ने पप्पू को फोन किया और बताया। पप्पू ने सरभोजय को कॉल करके पूछा – उसने झूठ बोला रोते हुए दावा किया कि रिनी और अनंता उससे जलते हैं। उसी दिन से अपने दोस्तों पर शक करते हुए वो हर किसी से दूर हो गया।
फिर, सरभोजया ने पप्पू को कैफे में बुलाया। वह बेताब थी और खुद को दोहरा रही थी, उसकी आँखें लाल थीं। अचानक, उसने एक चाकू निकाला – पप्पू को चोट पहुँचाने के लिए नहीं बल्कि खुद को। खून बह गया और पप्पू उसे अस्पताल ले गया, हर चीज के लिए रिनी और अनंता को दोषी ठहराते हुए उनकी दोस्ती टूट गई।
पप्पू शॉक में था, सरभोजया पर भरोसा नहीं कर पा रहा था और बात कम कर दी थी अब दोनों एक दूसरे से कम बात करते थे। एक दिन, पप्पू की माँ ने उसे एक लड़की की तस्वीर दिखाई जिसका नाम पूजा था, जो दिल्ली की एक शहरी लड़की थी। थका हुआ और टूटा हुआ पप्पू ने उससे शादी करने के लिए हाँ दे दी, यह मानते हुए कि एक नई शुरुआत ही उसका रास्ता है।
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सरभोजया को पता चला। वोह पप्पू क घर गयी और बोहोत झगड़ा हुआ पर पप्पू नहीं माना फिर गुस्से में वह सड़कों पर भटकती रही आँसुओं से उसको कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, जब तक कि एक कार ने उसे टक्कर नहीं मार दी। वह अकेली मर गई, उसका प्यार अनसुलझा रह गया।
पप्पू उसकी मौत से अनजाने में पूजा से सगाई कर ली।
इस बीच, रिनी और अनंता देर रात जंगल की सड़क में ड्राइव पर गए।
अचानक, एक काली छाया उनकी विंडशील्ड से टकरा गई एक भयानक धमाका हुआ और वह दोनों ही चौंक गए। अनंता ने ब्रेक लगाया, उसका दिल धड़क रहा था।
“यह क्या था?” रिनी ने डर से धीमी आवाज़ में बोला।
उन्होंने अंधेरे में झाँका लेकिन कुछ नहीं दिखा। “यह कोई जानवर होगा,” अनंता ने हिम्मत करने की कोशिश करते हुए कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में विश्वास की कमी थी।
जैसे ही वे आगे बढ़े, छाया सी काली साड़ी में एक महिला जिसके साथ एक काली बिल्ली थी वोह सड़क पार कर रही थी। वह धीरे से चली उसका चेहरा अंधेरे में छिपा हुआ था। अनंता ने फिर से ब्रेक लगाया उसके हाथ कांप रहे थे। महिला गायब हो गई।
“मैं… मैं यह नहीं कर सकता,” अनंता हकलाया उसकी आवाज़ डर से दबी हुई थी “मैं गाड़ी नहीं चला सकता।”
अचानक, अनंता जम गया रिनी चिल्लाई और फिर – पिछली सीट से एक आवाज आई, “हेलो, रिनी। क्या तुम्हें याद है?”
वह मुड़ी, उसने देखा वो वही लड़की थी – सरभोजया, उसका चेहरा खून और गुस्से से लिपटा हुआ था और उसकी आँखें नफरत से जल रही थीं। रिनी चीखी और बेहोश हो गई। जब वह जागी तो वह घर पर थी। रिनी को भयानक-भयानक चीज़े दिखने लगी और उसे वो आत्मा और तड़पाने लगी – चीज़े हिल रही थीं और अंधेरे में फुसफुसाहट, रिनी को चोटें लग रही थीं।
एक दिन, सरभोजया की आत्मा ने रिनी पर कब्जा कर लिया जिससे उसे खुद को नुकसान पहुंचाने के लिए मजबूर होना पड़ा। अनंता ने उसे बचाया और उसे कमलेश पंडित के पास ले गया जो एक प्रसिद्ध ओझा थे।
पंडित कमलेश ने तंत्र-मंत्र से सरभोजया की आत्मा को बुलाया। काफी कोशिशों के बाद वोह आयी उसका दुख और ग़ुस्से से भरा चेहरा था। उसने रिनी और अनंता को पप्पू से अलग करने के लिए दोषी ठहराया और कसम खाई कि जो कोई भी उनके बीच आएगा वो उसे वो मार देगी।
उस रात, रिनी और अनंता की कार लौटते वक़्त जंगल में खराब हो गई। धुआँ कार में भर गया और दरवाजे बंद हो गया और अचानक आग लग गई। अनंता ने खिड़की तोड़ दी और रिनी को खींचकर धुंधले जंगल में ले गया। चमगादड़ झुंड में आ गए और रिनी गायब हो गई। अनंता का सामना सरभोजया के भूत से हुआ। उसने एक आत्मा की मांग की – उसकी या रिनी की। बिना किसी हिचकिचाहट के अनंता ने खुद को ले जाने को कहा। जैसे ही भोर हुई रिनी अकेली जागी और देखा अनंता का बेजान खून से लथपथ शरीर एक पेड़ से लटका हुआ था।
पप्पू के शादी के दिन, रिनी ने फोन किया घबराकर उसे सब कुछ बताया। मंडप फूलों और रोशनी से सजा हुआ था हवा खुशबू से भरी हुई थी। पप्पू, उसका चेहरा पीला पड़ गया पूजा बगल में बैठी थी और उसका चेहरा घूंघट में छिपा हुआ था। शादी के मंत्र शुरू हो गए लेकिन पप्पू दुःख में था की सरभोजाया की मौत हो गई और उसे ख़बर तक नहीं।
जैसे ही वह सातवा वचन लेने वाले थे कि पूजा ने धीमी आवाज़ में बोला, “चलो बेबी, शादी खत्म करो” – लेकिन यह सरभोजया की आवाज थी। पूजा की आवाज़ बदल गई और उसकी शकल सरभोजाया की भयानक शकल में बदल गयी। उसकी आँखें खून से भरी हुई दिख रही थीं।
पप्पू डर से पीछे हट गया और पप्पू को सच्चाई का एहसास हुआ कि सरभोजया सच में मर गयी हैं और अब उसने पूजा के शरीर पर कब्ज़ा कर लिया हैं, उसकी बदला लेने वाली आत्मा ने मौत का फैसला किया था।
पंडित कमलेश, बुराई को महसूस करते हुए जप करने लगे उनकी आवाज़ एक शक्तिशाली आवाज़ में बढ़ रही थी। सरभोजया की आत्मा पूजा के शरीर के भीतर तड़प रही थी, उसके चेहरे को एक भयानक रूप में बदल रही थी।
“तुम मेरे होगे, पप्पू!” वह चीखी, उसकी आवाज़ पूजा और सरभोजया का एक भयानक मिश्रण थी। “तुम मुझसे बच नहीं सकते!”
रोशनी टिमटिमाई और बुझ गई। मेहमान चीखे, और इधर उधर भागने लगे।
पंडित कमलेश ने अपना जप जारी रखा बिना रुके। उन्होंने पूजा पर पवित्र राख फेंकी जिससे सरभोजया की आत्मा पीछे हटने के लिए मजबूर हो गई, जिससे पूजा का शरीर ढीला और बेजान हो गया।
“मैं तुम्हें उसे नहीं लेने दूँगी!” सरभोजया की आवाज हॉल में गूंज उठी। “अगर मैं उसे नहीं पा सकती, तो कोई नहीं पाएगा!”
जैसे ही उसने पप्पू पर झपट्टा मारा, उसका भूतिया रूप अंधेरे में झिलमिलाने लगी। पंडित कमलेश ने एक मिट्टी का बर्तन पकड़ा एक शक्तिशाली मंत्र का जाप किया।
सरभोजया की आत्मा पवित्र मन्त्रों से कमजोर होकर बर्तन में खिंच गई। वो चिल्ला रही थीं क्योंकि, पंडित ने उसे उस मिटटी के बर्तन मे कैद कर लिया था।
“यह बर्तन महाकाली मंदिर में रहना चाहिए,” उन्होंने चेतावनी दी। “अगर इसे कभी हटाया गया, तो वह वापस आ जाएगी।”
शादी खत्म हो गई, खुशी की जगह डर और दुख ने ले ली। पप्पू, सरभोजया के प्यार और गुस्से से हमेशा के लिए आज़ाद हो गया, वो केवल यही उम्मीद कर सकता था, कि उसकी आत्मा को शांति मिले।
क्या होगा, अगर उस बर्तन को किसी ने मंदिर से हटा दिया तो ????
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