कथकली गुड़िया का श्राप: मौत का नाच! 👹 क्या प्रिया इस श्राप को तोड़ पाएगी?

मुंबई में प्रिया नाम की एक लड़की रहती थी। उसे गुड़ियों से बहुत प्यार था। उसकी अलमारी में कई रंग-बिरंगी गुड़ियाँ थीं, लेकिन एक गुड़िया उसे सबसे ज़्यादा डराती थी – कथकली गुड़िया

गर्मी की छुट्टियों में, प्रिया अपने परिवार के साथ केरल में दादी के पुराने घर गई। दादी का घर बहुत बड़ा था, लेकिन रात को वहाँ बहुत सन्नाटा रहता था।

घर के कोनों में अजीब सी परछाइयाँ दिखती थीं और कभी-कभी खिड़की अपने आप खुल जाती थी, जैसे कोई अंदर आने का इंतज़ार कर रहा हो। दादी को बाहर जाने में डर लगता था, इसलिए पड़ोस की आयशा आंटी और उनकी बेटी मीना घर के काम में मदद करती थीं।

एक दिन, आयशा आंटी प्रिया को बाज़ार ले गईं। वहाँ उन्होंने प्रिया के लिए एक खास कथकली गुड़िया खरीदी। उस गुड़िया का चेहरा हरा था, बड़ी-बड़ी आँखें थीं, और सिर पर लाल मुकुट था। प्रिया ने उसे बहुत प्यार से अपने पास रख लिया, लेकिन उसे लगता था कि गुड़िया उसे घूर रही है।

पहली ही रात, जब सब सो रहे थे, प्रिया को अचानक अजीब सी हँसी सुनाई दी। कमरे में ठंडी हवा चलने लगी और उसे लगा जैसे कोई उसके पास खड़ा है। प्रिया ने डरते हुए आँखें खोलीं और देखा कि कथकली गुड़िया उसकी अलमारी से निकलकर उसके बिस्तर के पास आ गई थी।

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गुड़िया की आँखें चमक रही थीं और उसके पैरों में बंधे घुंघरू खुद-ब-खुद बज रहे थे, लेकिन इस बार उनकी आवाज़ बहुत तेज़ और डरावनी थी। प्रिया डर के मारे चादर में छुप गई, लेकिन उसे लगा जैसे कोई उसके कान के पास फुसफुसा रहा है, –

“मैं तुम्हारी दोस्त हूँ… हमेशा के लिए… और अब तुम कभी अकेली नहीं रहोगी।”

अगली सुबह, प्रिया ने देखा कि उसकी बाकी सारी गुड़ियाँ फर्श पर गिरी हुई थीं, उनके चेहरे पर खरोंचें थीं और उनके कपड़े फटे हुए थे। दीवार पर लाल रंग से लिखा था, –

“आओ खेलें… या फिर तुम भी टूट जाओगी।”

प्रिया का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा और उसे लगा जैसे कोई उसका गला दबा रहा है। उसने अपनी मम्मी को बताया, लेकिन मम्मी ने कहा शायद कोई चूहा आ गया होगा और उसे डराने की कोशिश कर रही है।

रात को, प्रिया को अलमारी से खरोंचने की आवाज़ आने लगी, लेकिन इस बार आवाज़ बहुत तेज़ थी, जैसे कोई दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश कर रहा हो। कभी उसे लगता कि कोई उसके बिस्तर के नीचे से उसे देख रहा है, उसकी साँसें सुन रहा है।

एक रात, प्रिया की आँख खुली तो उसने देखा कि मीना गुड़िया को लेकर कोने में बैठी है। मीना की आँखें सफेद हो गई थीं और वह अजीब भाषा में कुछ बोल रही थी, लेकिन इस बार उसकी आवाज़ बहुत डरावनी और भारी थी। अचानक मीना ज़ोर से चिल्लाई और बेहोश हो गई।

आयशा आंटी उसे उठाकर ले गईं, लेकिन जाते वक़्त उन्होंने प्रिया को बहुत गुस्से से देखा। उस दिन के बाद मीना और आयशा आंटी कभी नहीं आईं, जैसे वे कहीं गायब हो गई हों।

अब हर रात, प्रिया को अपने कमरे में अजीब-अजीब आवाज़ें सुनाई देती थीं। कभी खिलौनों की हँसी, कभी किसी के चलने की आवाज़, कभी दरवाज़ा अपने आप खुल जाता था और ठंडी हवा अंदर आ जाती थी।

एक रात, प्रिया की आँख खुली तो उसने देखा कि कथकली गुड़िया उसके सिरहाने बैठी है, उसकी आँखें लाल हो गई थीं और वह धीरे-धीरे मुस्कुरा रही थी। कमरे की लाइट अपने आप जल-बुझ रही थी और दीवारों पर काले साए नाच रहे थे, जैसे कोई डरावना खेल खेल रहा हो। प्रिया डर के मारे रोने लगी, लेकिन उसकी आवाज़ बाहर नहीं जा रही थी, जैसे किसी ने उसका मुँह बंद कर दिया हो।

अगली सुबह, प्रिया ने गुड़िया को कूड़ेदान में फेंक दिया, लेकिन वह फिर से उसकी अलमारी में आ गई, जैसे उसे कोई बुला रहा हो। प्रिया ने हिम्मत करके गुड़िया को मिक्सर में डाल दिया। मिक्सर से अजीब सी चीख निकली, जैसे कोई बहुत दर्द से चिल्ला रहा हो।

काला धुआँ कमरे में फैल गया और गुड़िया का सिर टूट गया, लेकिन उसकी आँखें अब भी चमक रही थीं और उससे खून टपक रहा था। प्रिया को लगा जैसे कोई अदृश्य हाथ उसके कंधे को छू रहा है, उसकी गर्दन पर ठंडी साँसें ले रहा है। वह डर के मारे काँपने लगी और बेहोश हो गई।

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अब घर में और भी डरावनी बातें होने लगीं। लाइट अपने आप जलने-बुझने लगी, रात को खिलौने खुद-ब-खुद हिलने लगे और दीवारों पर छोटे-छोटे लाल पैरों के निशान दिखने लगे, जैसे कोई उसके पीछे चल रहा हो। कभी प्रिया को लगता कि कोई उसके पीछे खड़ा है और धीरे-धीरे साँस ले रहा है, जैसे उसे मारने की तैयारी कर रहा हो।

उसकी नींद उड़ गई थी, वह हर वक्त डरी-डरी रहती थी और उसे लगता था कि वह पागल हो जाएगी। मम्मी-पापा भी परेशान हो गए थे, लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है।

आखिरकार, मम्मी ने एक पंडित जी को बुलाया। पंडित जी ने कहा,-

“इस गुड़िया में एक बहुत बुरी आत्मा है, जो इस घर को और तुम्हें बर्बाद कर देगी। लेकिन डरने की ज़रूरत नहीं, हम इसे भगा सकते हैं, लेकिन यह बहुत मुश्किल होगा।”

पंडित जी ने गुड़िया को एक तांबे के डिब्बे में बंद किया, उस पर लाल धागा बाँधा और सब मिलकर उसे पास के पीपल के पेड़ के नीचे गाड़ आए। पंडित जी ने मंत्र पढ़े और कहा, –

“अब यह आत्मा कभी वापस नहीं आएगी, लेकिन तुम्हें हमेशा सावधान रहना होगा।”

उस रात, प्रिया ने चैन की नींद सोई, लेकिन उसे एक डरावना सपना आया। उसने देखा कि कथकली गुड़िया पीपल के पेड़ के नीचे से निकलकर आ रही है, उसकी आँखें लाल हैं और वह उसे मारने के लिए दौड़ रही है। प्रिया डर के मारे चीख पड़ी और उसकी नींद खुल गई।

अगली सुबह, प्रिया ने देखा कि उसकी अलमारी में एक छोटा सा लाल निशान है, जैसे किसी ने खून से कुछ लिखा हो। प्रिया डर गई और उसने अपनी मम्मी को बताया। मम्मी ने कहा, –

“डरने की कोई बात नहीं है, हम सब मिलकर इस बुरी आत्मा से लड़ेंगे।”

उस दिन से, प्रिया और उसके परिवार ने मिलकर उस बुरी आत्मा से लड़ने का फैसला किया। उन्होंने घर में पूजा की, मंत्र पढ़े और हर रात एक साथ सोने लगे। धीरे-धीरे, घर में डरावनी बातें कम होने लगीं और प्रिया का डर भी कम होने लगा।

एक रात, प्रिया ने फिर से सपना देखा कि कथकली गुड़िया पीपल के पेड़ के नीचे से निकलकर आ रही है, लेकिन इस बार प्रिया डरी नहीं। उसने गुड़िया को देखा और कहा, –

“तुम मुझे डरा नहीं सकती, मैं तुमसे ज़्यादा मज़बूत हूँ।”

अगली सुबह, प्रिया ने देखा कि उसकी अलमारी में लाल निशान गायब हो गया है। उसने राहत की साँस ली और समझ गई कि उसने उस बुरी आत्मा को हरा दिया है।

अब प्रिया के घर में सिर्फ हँसी और खुशियाँ थीं। कथकली गुड़िया हमेशा के लिए दूर चली गई थी और प्रिया ने कभी भी किसी गुड़िया से डरने की ज़रूरत नहीं समझी।

कहानी से सीख: डर पर विजय

इस कहानी से सबसे महत्वपूर्ण सीख यह है: 

साहस और एकता डर और बुराई पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

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